लंदन में धीरेंद्र शास्त्री बोले- कोहिनूर लेकर ही लौटेंगे:कहा- पहले अंग्रेज भारत में बोलते थे, अब हम बोल रहे और ये सुन रहे

बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र शास्त्री लंदन गए हुए हैं। यहां वो लोगों को राम कथा सुना रहे हैं। यहीं पर एक प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा- हम कोहिनूर लेकर ही भारत वापस जाएंगे। भक्तों से बात करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि उन्हें लगातार भारत से फोन आ रहे हैं और लोग पूछ रहे हैं कि वो भारत कब लौटेंगे।

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इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अब उनको लंदन में ही अच्छा लग रहा है। पहले अंग्रेज भारत जाकर बोलते थे और हमारे दादा सुनते थे, लेकिन अब हम इंग्लैंड आकर बोलते हैं और वहां के लोग बातें सुनते हैं। पंडित शास्त्री ने कहा कि ब्रिटेन के लोग बहुत अच्छे हैं। मैं चाहता हूं कि यहां के राजा ऐसे ही देश की इकोनॉमी और अध्यात्म बढ़ाते रहें। इसके साथ ही उन्होंने लंदन के लोगों को धन्यवाद भी कहा।

ब्रिटेन के टावर ऑफ लंदन की प्रदर्शनी में कोहिनूर जड़े ताज के साथ कई रॉयल ज्वेल्स शामिल किए गए हैं।

ब्रिटेन ने माना- जबरन ले गए थे कोहिनूर
इससे पहले मई में ब्रिटेन की रॉयल फैमिली ने ये मान लिया था कि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत से कोहिनूर हीरा ले गई थी। महाराजा दलीप सिंह को इसे सरेंडर करने के लिए मजबूर किया गया था। ब्रिटेन के टावर ऑफ लंदन में रॉयल ज्वेल्स की प्रदर्शनी में बताया गया है कि लाहौर संधि के तहत दलीप सिंह के सामने कोहिनूर सौंपने की शर्त रखी गई थी। बकिंघम पैलेस के रॉयल कलेक्शन ट्रस्ट की मंजूरी के बाद प्रदर्शनी में ये टेक्स्ट लिखा गया है।

कोहिनूर हीरा ‘विजय का प्रतीक’
क्राउन ज्वेल्स एग्जीबिशन में कोहिनूर पर एक फिल्म भी दिखाई गई है। इसमें इसके पूरे इतिहास को एक ग्राफिक मैप के जरिए दिखाया गया है। इसमें बताया गया है कि हीरे को गोलकुंडा की खदानों से निकाले जाने का दावा किया जाता है। इसके बाद एक तस्वीर में महाराजा दलीप सिंह इसे ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपते नजर आ रहे हैं।

एक और तस्वीर में ब्रिटेन की क्वीन मदर के ताज में कोहिनूर जड़ा नजर आ रहा है। टॉवर ऑफ लंदन में ये एग्जीबिशन किंग चार्ल्स की ताजपोशी के अवसर पर लगाई गई है। 6 मई को किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला की ताजपोशी हुई थी।

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भारत कई बार कोहिनूर वापस मांग चुका है
कोहिनूर जड़े ताज को सबसे पहले ब्रिटेन की क्वीन मदर ने पहना था। इसके बाद ये ताज क्वीन एलिजाबेथ को मिला था। इस ताज में कोहिनूर के अलावा अफ्रीका का बेशकीमती हीरा ग्रेट स्टार ऑफ अफ्रीका सहित कई कीमती पत्थर जड़े हैं। इसकी कीमत करीब 40 करोड़ डॉलर आंकी गई है। भारत ने ब्रिटेन के सामने कई बार कोहिनूर हीरे पर अपना कानूनी हक होने का दावा किया है।

कई देश करते हैं कोहिनूर पर अपना दावा
कोहिनूर हीरे का इतिहास विवादों से भरा रहा है। कहा जाता है कि साल 1849 में जब अंग्रेजों ने पंजाब पर कब्जा किया तो इस हीरे को ब्रिटेन की तब की महारानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था। बाद में इसे और कई हीरों के साथ ब्रिटेन के शाही ताज में लगा दिया गया। भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ईरान भी इस हीरे पर अपना दावा कर चुके हैं।

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