साधु प्रवेश व शाही स्नान के साथ शुक्रवार से 5 दिवसीय कपालमोचन मेला विधिवत शुरू हो गया। मेला का विधिवत उद्घाटन अम्बाला मंडल आयुक्त रेणु एस फुलिया ने किया। हवन में भाग लेने के बाद उन्होंने अधिकारियों के साथ विभिन्न विभागों द्वारा लगाई प्रदर्शनियों का अवलोकन किया। बिलासपुर नगर खेड़ा मंदिर से भारत संत रक्षा समिति द्वारा षड्दर्शन साधु समाज एकता मंडल के तत्वावधान में शाही यात्रा का शुभारंभ किया गया।
बड़ी संख्या में शामिल साधु-संत 3 किलोमीटर पैदल चलकर मेला क्षेत्र पहुंचे। आगे-आगे संत रक्षा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष ब्रह्मचारी रामस्वरूप चल रहे थे। सबसे पहले साधुओं ने कपालमोचन सरोवर में शाही स्नान किया। उसके बाद ऋणमोचन व आखिर में सूरजकुंड सरोवर में डुबकी लगाई।
महंत बलजिंद्र दास ने बताया कि जिस तरह से कुंभ मेले की शुरुआत साधुओं के शाही स्नान के बाद होती है, उसी तरह कपालमोचन मेले का शुभारंभ साधु प्रवेश शाही स्नान के साथ किया जाता है। शाही स्नान से साधुओं का तप से प्राप्त की गई शक्तियां सरोवरों के जल में समाहित हो जाती हैं। ब्रह्मचारी रामस्वरूप ने कहा कि कपालमोचन ऋषि-मुनियों व तपस्वियों की तपस्थली रही है। साधु संतों के अलावा भगवान शिव, श्रीराम, श्रीकृष्ण ने पांडवों के साथ व सिखों के प्रथम गुरु नानक देव व दशम गुरु गोबिंद सिंह जी यहां कदम रख इस धरती को पवित्र किया है।
अम्बाला मंडल की आयुक्त रेणु एस फुलिया ने अपने मेले के अनुभव भी साझा किए कि वे वर्ष 2000 से 2004 तक जिला यमुनानगर की एसडीएम रही है और उस दौरान उन्होंने यहां की मेले की व्यवस्थाओं को नजदीक से देखा है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे मेला क्षेत्र में सफाई व दूसरी व्यवस्थाओं में कर्मचारियों व अधिकारियों का सहयोग करें। सिंगल यूज प्लास्टिक से बचें। प्रसाद कागज के लिफाफों में दिया जाए। इससे पहले डीसी राहुल हुड्डा ने मेला में की गई व्यवस्था, कर्मचारियों व पुलिस जवानों की तैनाती के बारे में जानकारी दी।
}मेले में विभागों के कर्मचारी पुजारी बनकर बांटेंगे प्रसाद
प्रशासन ने कपालमोचन मेले में विभिन्न विभागों के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई विभाग से कर्मियों को लिया गया है। 3 शिफ्टों में ड्यूटी करने वाले कर्मचारी यहां मंदिरों में पुजारी बन प्रसाद वितरित करते नजर आएंगे। श्राइन बोर्ड की ओर से उन कर्मियों के नामों की लिस्ट जारी की गई है। इससे पहले केवल शिक्षकों को ही यह जिम्मेदारी दी जाती रही है। अब इसमें सभी विभागों से 1-2 कर्मचारियों को लिया गया है। मंदिर में पुजारी के साथ प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित करेंगे। आज से शुरू होने वाली ड्यूटी 8 नवंबर तक रहेगी। यह ड्यूटी सुबह 7 से अगले दिन 7 बजे तक कर्मियों को देनी होगी। इसका ड्यूटी रोस्टर बनाकर जारी किया गया है। जगह का नाम भी बताया गया है।
काले कपड़ों की भी रही चर्चा
उद् घाटन वाले दिन हवन का आयोजन किया गया। कमिश्नर रेणु एस फुलिया ने भी हवन के महत्व का अपने भाषण में जिक्र किया लेकिन इस शुभा कार्य में कुछ अधिकारी काले कपड़े पहनकर शामिल हुए। इसे लेकर भी हवन करने वाले कुछ विद्वानों में चर्चा रही। उनका कहना था कि शुभ कार्यों के समय काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। पूजा व शुभ कार्यों के समय लाइट (हल्के) कलर के कपड़े ही पहने जाते हैं।
इस बार मेले में अच्छा प्रबंध
तीनों सरोवरों का जल अन्य सालों के मेलों की तुलना में इस बार काफी स्वच्छ है। पहले दिन ही तीनों सरोवर जल से लबालब दिखे। सुरक्षा के प्रबंध चौकस दिखे। लाइट की व्यवस्था भी अच्छी है। वहीं इस बार श्रद्धालुओं के लिए अधिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है। डीसी राहुल हुड्डा के अनुसार मेला क्षेत्र में करीब 550 शौचालयों का निर्माण किया गया है। 126 एकड़ के मेला क्षेत्र को चार सेक्टरों में बांटा गया है। हर सेक्टर में पुलिस चौकी व स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है।