श्रीराम कृष्ण रामलीला मंच जठलाना की ओर से कराई जा रही रामलीला में सीता स्वयंवर का मंचन हुआ। ताड़का व सुबाहू वध के बाद श्रीराम व लक्ष्मण ने गुरु विश्वामित्र से जनक नगरी घूमने की इच्छा जताई। विश्वामित्र ने उन्हें बताया कि राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर का आयोजन किया है। इसलिए हम भी वहां जरूर जाएंगे। तब श्री राम व लक्ष्मण गुरु विश्वामित्र के साथ राजा जनक के राज्य मिथलापुरी पहुंचे। वहां दूर-दूर से राजा-महाराजा स्वयंवर में भाग लेने के लिए आए हुए थे।
तब स्वयंवर में लंका का राजा रावण भी आता है और राजा जनक से पूछता है कि उसे स्वयंवर का निमंत्रण क्यों नहीं भेजा। जिस पर राजा जनक ने रावण को बताया कि मंत्री की गलती व पता न मालूम होने की वजह से निमंत्रण नहीं भेज सके। तब राक्षस राज बाणासुर वहां रावण के साथ वाद-विवाद करते हैं। तब रावण को भविष्यवाणी होती है तब रावण वहां से चला जाता है। तभी सारे राजकुमार शिव धनुष तोड़ने का प्रयास करते हैं, लेकिन सभी धनुष तोड़ने में विफल रहते हैं।
जिसके बाद श्रीराम गुरु विश्वामित्र जी से आज्ञा लेकर धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं और जय जयकार का जयघोष होता है। मौके पर प्रधान कुलदीप सिंह, उपप्रधान अशोक भटनागर, सचिव संजीव शास्त्री, डायरेक्टर दीपक अग्रवाल व मंच संचालक पंकज धीमान भी मौजूद रहे।