yamunanagar : जिले में सूखे चारे का संकट बना हुआ है। गोशाला संचालकों से लेकर डेयरी व्यवसायी व आम पशु पालक भी इससे जूझ रहे हैं। हालांकि सरकार ने व्यवस्था बनाने के लिए दूसरे राज्यों में भूसा ले जाने पर रोक लगा दी है। सीमाओं पर पहरा बिठा दिया है। बावजूद इसके अभी भी जिले से चोरी छिपे भूसे से लदे वाहन निकल रहे हैं।
खेतों से इन वाहनों में लोड हो रहा भूसा इस बात का प्रमाण है।
जिले की सीमा उप्र व हिमाचल प्रदेश से लगती है। इन दोनों राज्यों में भूसे की काफी खपत है। इस बार किल्लत हुई है। लेकिन गत वर्षों से दोनों राज्यों में यहां से भूसा सप्लाई होता रहा है। अधिकतर किसानों के पास पशुधन नहीं है या कम है। भूसे का रेट इस समय आसमान छू रहा है। ऐसे में ये किसान भूसे को बेचकर मुनाफा कमाने की जुगत में भी हैं।
एसडीएम से मिले व्यवसायी :
इस तरह हो रहा कारोबार
दरअसल, इस बार बारिश के कारण गेहूं की फसल खराब हो गई थी। जिसके चलते पैदावार घटकर करीब आधी रह गई। गेहूं के साथ-साथ भूसे की पैदावार भी घटी। ऐसे में भूसे के दाम आसमान छूने लगे। इन दिनों व्यवसायियों को 800 रुपये प्रति क्विंटल तक भूसा मिल रहा है। उप्र व अन्य राज्यों के कुछ क्षेत्र के किसानों से भूसा खरीद कर एक जगह स्टोर कर लेते हैं। किसानों को भी दाम अच्छे मिल रहे हैं। यहां से इस भूसे को ट्रालियों व ट्रकों में लोड करके उप्र व हिमाचल में ले जाते हैं।
औद्योगिक इकाइयों में सप्लाई न हो
डेयरी कांप्लेक्स कैल के प्रधान सुरजीत सिंह, औरंगाबाद के हैप्पी गिल व व्यवसायी जितेंद्र लांबा का कहना है कि उप्र व हिमाचल में औद्योगिक इकाइयों में भूसे का प्रयोग किया जा रहा है। जबकि पशुओं के लिए चारा संकट बुरी तरह गहराया हुआ है। यदि औद्योगिक इकाइयों में हो रही सप्लाई को बंद करवा दिया जाए तो काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकता है। ऐसी व्यवस्था होने से दामों में भी गिरावट आएगी और हरियाणा का भूसा हरियाणा की मंडियों में पहुंचेगा।