एक्सप्लेनर:पाकिस्तान में कैसे गिरी भारतीय मिसाइल, पाक सेना इसे क्यों नहीं मार पाई? क्या ये ब्रह्मोस थी या पृथ्वी?

भारत की एक मिसाइल 9 मार्च को पाकिस्तान में 124 किलोमीटर अंदर उसके शहर चन्नू मियां के पास जा गिरी। भारत का कहना है कि तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ। उधर, पाकिस्तान का दावा है कि बिना हथियारों वाली यह एक सुपरसोनिक यानी आवाज की रफ्तार से तेज उड़ने वाली मिसाइल थी।

ऐसे में चलिए जानते हैं कि पाकिस्तान में गिरी भारतीय मिसाइल किस तरह की थी? दोनों देशों के बीच मिसाइल टेस्टिंग को लेकर है क्या नियम? पाकिस्तानी सेना इसे गिरा क्यों नहीं पाई?

सबसे पहले जानते हैं कि पाकिस्तान का दावा क्या है?

  • पाकिस्तानी मिलिट्री के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिकार ने अपने बयान में कहा, एक तेज स्पीड से उड़ता हुआ ऑब्जेक्ट उसके शहर मियां चन्नू के करीब क्रैश हुआ था।
  • ये ऑब्जेक्ट 40 हजार फीट की ऊंचाई पर और मैक 3 स्पीड से पाकिस्तानी एयरस्पेस में 124 किलीमीटर अंदर उड़ने के बाद क्रैश हो गया।
  • पाकिस्तान ने कहा कि इस ऑब्जेक्ट ने भारत और पाकिस्तान के एयरस्पेस में नेशनल और इंटरनेशनल पैसेंजर फ्लाइट्स के साथ ही जमीन पर मौजूद इंसानी जानों और संपत्तियों को भी संकट में डाला।
  • आमतौर पर कमर्शियल विमान 31 हजार से 38 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं। अभी ये स्पष्ट नहीं है कि क्या ये भारतीय मिसाइल उसी एयरलाइन रूट पर उड़ी थी।

भारत-पाकिस्तान को देनी होती है मिसाइल टेस्टिंग से पहले एक-दूसरे को जानकारी

  • भारत और पाकिस्तान ने बैलेस्टिक मिसाइल की किसी भी टेस्टिंग की एक-दूसरे को पहले से सूचना देने के लिए 2005 में एक करार किया था।
  • इस फ्लाइट टेस्टिंग ऑफ बैलेस्टिक मिसाइल एग्रीमेंट के तहत इन दोनों देशों को किसी भी जमीन या समुद्र और जमीन से जमीन से लॉन्च की जाने वाली बैलेस्टिक मिसाइल की टेस्टिंग की पहले से जानकारी देनी होती है।
  • इस करार के मुताबिक, ऐसी किसी भी टेस्टिंग से पहले दोनों देश को पायलटों और नाविकों को सावधान करने के लिए एयर मिशन (NOTAM) या नेविगेशनल वॉर्निंग (NAVAREA) का नोटिस जारी करना चाहिए।
  • साथ ही, टेस्ट करने वाले देश को यह सुनिश्चित करना होता कि मिसाइल जिस जगह से छोड़ी जानी है, वह दोनों देशों की सीमा से 40 किलोमीटर दूर हो। इसके अलावा मिसाइल को जिस जगह गिरना है वह अंतरराष्ट्रीय सीमा या LoC से कम से कम 75 किलोमीटर दूर हो।
  • मिसाइल को उड़ान के दौरान भी अंतरराष्ट्रीय सीमा या LoC को पार नहीं करना चाहिए। पूरी उड़ान के दौरान मिसाइल को सीमा से कम से कम 40 किलोमीटर दूर रहना चाहिए।
  • करार के मुताबिक, दोनों देशों मिसाइल टेस्टिंग के लिए कम से कम पांच दिनों का लॉन्च विंडो यानी समय तय करना होता है। साथ ही इस लॉन्च विंडो के बारे में कम से कम तीन पहले बताना होता है। यह जानकारी संबंधित देश के फॉरेन ऑफिस और हाई कमिशन के जरिए दी जाती है।

करार में एक पेंच भी, क्रूज मिसाइल इस करार से दायरे से बाहर
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार का कहना है कि उन्हें भारतीय सेना की तरफ से किसी मिसाइल टेस्टिंग की जानकारी नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बैलेस्टिक मिसाइल की जानकारी साझा करने को लेकर करार है, लेकिन ये दोनों देश इस तरह की मिसाइलों (जो पाकिस्तान में गिरी) की जानकारी शेयर नहीं करते।​​​​​​ पाकिस्तान मेजर जनरल का इशारा क्रूज मिसाइल की तरफ था।

भारतीय मिसाइल की तेज रफ्तार से मात खा गया पाकिस्तान डिफेंस सिस्टम?
पाकिस्तानी मिलिट्री के मुताबिक, उसके एयर डिफेंस ने ये पकड़ लिया था कि सिरसा से कोई हाई स्पीड ऑब्जेक्ट पहले भारत में उड़ने और फिर हवा में रास्ता बदलकर पाकिस्तानी इलाके में घुस गया है। इसके बाद पाकिस्तानी एयरफोर्स स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसिजर का पालन करते हुए लगातार इस ऑब्जेक्ट की निगरानी करता रहा, लेकिन इस दौरान पाकिस्तान ये नहीं जान पाया कि ये ऑब्जेक्ट एक मिसाइल है।

एक्सर्ट्स के मुताबिक, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मिसाइल की तेज स्पीड से इसके खिलाफ तुरंत कुछ कर पाना मुश्किल था। साथ ही शांति काल के समय किसी भी देश के लिए अचानक प्रतिक्रिया दे पाना मुश्किल होता है। इसलिए पाकिस्तानी सेना इसका जवाब नहीं दे पाई।

पाकिस्तान में गिरी भारतीय मिसाइल ब्रह्मोस थी या पृथ्वी?

भारत और पाकिस्तान में से किसी ने ये साफ नहीं की है कि ये कौन सी मिसाइल थी। पाकिस्तान ने केवल इसे सुपरसोनिक मिसाइल कहा है। कुछ एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि ये भारत की टॉप मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस मिसाइल का टेस्ट हो सकता है।

ये अनुमान पाकिस्तान के उस दावे पर आधारित है, जिसके मुताबिक इस मिसाइल ने 200 किमी का सफर तय किया, हवा में कलाबाजियां खाईं, 40 हजार फीट की ऊंचाई और मैक 3 स्पीड यानी आवाज की स्पीड से 3 गुना अधिक स्पीड से उड़ान भरी।

ब्रह्मोस मिसाइल की टॉप स्पीड भी मैक 2-3 है, जिसकी रेंज करीब 290 किमी है और ये 15 किमी (करीब 50 हजार फीट की ऊंचाई) तक उड़ने में सक्षम है। ब्रह्मोस कहीं से भी दागा जा सकता है, ये परमाणु हथियार से लैस मिसाइल है और 200-300 किलो वॉरहेड्स ले जा सकती है।

पाकिस्तानी दावे के मुताबिक, इस भारतीय मिसाइल ने हवा के बीच में अपना रास्ता बदला था। पाकिस्तान ने कहा कि सीमा पर निकटतम बिंदु से 140 किलोमीटर दूर सिरसा से उड़ान भरने के बाद, मिसाइल ने 70-80 किलोमीटर तक भारतीय इलाके में सफर तय किया और ये दक्षिण-पश्चिम की ओर भारतीय सेना के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज की ओर बढ़ रही थी, इसके बाद ये रास्ता बदलकर पाकिस्तान में घुसी और 124 किलोमीटर दूर जाकर जमीन से टकराई थी।

ब्रह्मोस मिसाइल का मॉडर्न वर्जन मेनुरेबल तकनीक से लैस है। यानी इसमें दागे जाने के बाद लक्ष्य तक पहुंचने से पहले अपना रास्ता बदलने की भी क्षमता है।

आमतौर पर मिसाइलें या लेजर गाइडेड बम पहले से तय लक्ष्य को ही निशाना बना पाते हैं जबकि ब्रह्मोस मिसाइल दागे जाने के बाद भी, अगर उसका लक्ष्य अपना स्थान बदल रहा है, तब भी उसे निशाना बना लेती है।

कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान में गिरी मिसाइल परमाणु क्षमता से लैस पृथ्वी मिसाइल हो सकती है। भारत के परमाणु जखीरे के लिए जिम्मेदार स्ट्रैटिजिक फोर्सेज कमांड की कुछ संपत्तियां, उस इलाके के करीब स्थित हैं जहां से मिसाइल दागी गई थी। लेकिन, भारत कभी भी इस इलाके के आसपास पृथ्वी मिसाइल का टेस्ट नहीं करता है। पृथ्वी का टेस्ट केवल ओडिशा के बालासोर से ही होता है।

क्रूज और बैलेस्टिक मिसाइल में क्या अंतर है?
मिसाइल एक गाइडेड हवाई रेंज वाला हथियार है जो आमतौर पर जेट इंजन या रॉकेट मोटर से खुद उड़ान भरने में सक्षम होता है। मिसाइलों को गाइडेड मिसाइल या गाइडेड रॉकेट भी कहा जाता है।

सीध शब्दों में कहें तो मिसाइल का मतलब है किसी विस्फोटक को किसी टारगेट की ओर फेंकना ,दागना या भेजना।

मिसाइल मोटेतौर दो प्रकार की होती हैं। क्रूज मिसाइल और बैलेस्टिक मिसाइल।

क्रूज मिसाइल

  • क्रूज मिसाइल एक तरह की मानवरहित सेल्फ गाइडेड मिसाइल है। यह मिसाइल तेज रफ्तार विमानों की तरह जमीन काफी करीब उड़ान भरते हैं। इसके लिए उनके नेविगेशन सिस्टम में रास्ते की निशानदेही फीड की जाती है। इसलिए ही इन्हें क्रूज मिसाइल का नाम दिया गया है।
  • यह जेट इंजन टेक्नोलॉजी की मदद से पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरती हैं। इनकी स्पीड बहुत तेज होती है।
  • क्रूज मिसाइलों को क्षमता के हिसाब से सबसोनिक, सुपरसोनिक और हाइपर सोनिक क्रूज मिसाइलों में बांट सकते हैं। उदाहरण के लिए भारत की ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल है और ब्रह्मोस 2 हाइपरसोनिक मिसाइल है।
  • क्रूज मिसाइल जमीन से काफी कम, महज 10 मीटर की, ऊंचाई पर ही उड़ान भरती है। क्रूज मिसाइल पृथ्वी की सतह के समानांतर चलती हैं और उनका निशाना एकदम सटीक होता है।
  • कम ऊंचाई पर उड़ने की वजह से ही यह रडार की पकड़ में नहीं आती हैं। इन्हें जमीन, हवा, पनडुब्बी और युद्धपोत कहीं से भी दागा जा सकता है।
  • क्रूज मिसाइल आकार में बैलेस्टिक मिसाइल से छोटी होती हैं और उन पर हल्के वजन वाले बम ले जाए जाते हैं। क्रूज मिसाइलों का यूज पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए होता है।

बैलिस्टिक मिसाइल

  • ये मिसाइल छोड़े जाने के बाद तेजी से ऊपर जाती है और फिर गुरुत्वाकर्षण की वजह से तेजी से नीचे आते हुए अपने टारगेट को हिट करती है।
  • बैलेस्टिक मिसाइल को बड़े समुद्री जहाज या फिर रिर्सोसेज युक्त खास जगह से छोड़ा जाता है। भारत के पास पृथ्वी, अग्नि और धनुष नामक बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
  • बैलिस्टिक मिसाइलें साइज में क्रूज मिसाइलों से बड़ी होती हैं। ये मिसाइलें क्रूज की तुलना में ज्यादा भारी वजन वाले बम ले जा सकती हैं।
  • बैलिस्टिक मिसाइल छोड़े जाने के बाद हवा में एक अर्धचंद्राकर रास्ते पर चलती। जैसे ही रॉकेट से उनका संपर्क टूटता है, उनमें लगा बम गुरुत्वाकर्षण की वजह से जमीन पर गिरता है।
  • इन मिसाइलों को छोड़े जाने के बाद उनका रास्ता नहीं बदला जा सकता है।
  • बैलिस्टिक मिसाइलों का यूज आमतौर पर परमाणु बमों को ले जाने के लिए होता है, हालांकि इसने पारंपरिक हथियार भी ले जाए जा सकते

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