गुजरात में फर्जी पीएमओ और फर्जी सीएमओ अधिकारियों के पकड़े जाने के बाद अब पूरे फर्जी ऑफिस का ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सिंचाई विभाग का यह फर्जी ऑफिस छोटा उदेपुर जिले के बोडेली में दो साल से चल रहा था। पुलिस ने इस मामले में दो मुख्य आरोपियों समेत ऑफिस में काम करने वाले 12 लोगों को अरेस्ट किया है। फिलहाल मामले की जांच जारी है।
कुल 4.15 करोड़ की लगाई चपत
प्राथमिक जांच में पता चला है कि सिंचाई विभाग के प्रभाग के रुप में शुरू किए गए इस ऑफिस के जरिए अब तक सरकार समेत आम लोगों को 4.15 करोड़ रुपए की चपत लगाई जा चुकी है। इतना ही नहीं, पिछले दो सालों में करीब 93 सरकारी कामों को पूरा करने के लिए सरकारी विभाग से भी तीन करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम ऐंठी जा चुकी है। इसके अलावा कई ठेकेदारों को भी लाखों की चपत लगाई गई है। हालांकि, फर्जीवाड़े की रकम का सही आंकड़ा ऑफिस से जब्त डॉक्यूमेंट्स और फाइलों की जांच के बाद ही सामने आ पाएगा।

सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था फर्जीवाड़ा?
फर्जीवाड़े के इस हैरतअंगेज मामले के सामने आने के बाद यही सवाल उठ रहा है कि इस ऑफिस से तैयार किए जाने वाली फाइलों को मुख्य सरकारी विभाग से अप्रूवल कैसे मिल रही थी। क्योंकि, अप्रूवल के लिए फाइलें निरीक्षण अपर सहायक अभियंता, कार्यपालक अभियंता समेत कई अधिकारियों की टेबलों और जांच के दायरे से गुजरती हैं। तो यह फर्जीवाड़ा किसकी निगरानी में और कैसे हो रहा था।
जबकि, एक आम नागरिक को एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराने के लिए सरकारी ऑफिसों के महीनों तक चक्कर लगाने पड़ते हैं तो इस ऑफिस को आसानी से करोड़ों रुपए की रकम का भुगतान कैसे हो रहा था। इसे लेकर अब छोटा उदेपुर का मुख्य सिंचाई विभाग भी जांच के दायरे में है।

सरकारी कामों का निरीक्षण क्यों नहीं किया गया?
इस ऑफिस के जरिए अनुदान प्रशासक के कार्यालय में जो प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए थे, वे बोडेली के कार्यकारी अभियंता, सिंचाई परियोजना प्रभाग के थे। इसके लिए फर्जी सील और रकम के भुगतान के लिए फर्जी बैंक खाते भी खोले गए थे। तब भी इसकी जांच नहीं की गई।
इसकी भी जांच नहीं की गई कि सरकारी कामों के आदेश किसके जरिए किए जा रहे थे और उन्हें अप्रूव करने के बाद उन कामों के निरीक्षण सरकारी इंजीनियर की टीम द्वारा क्यों नहीं किए गए? अगर कागजों पर फर्जी निरीक्षण किए गए तो क्या कुछ सरकारी इंजीनियर्स की भी इसमें मिलीभगत थी। ऐसे अनेकों सवाल हैं, जिनके जवाब जांच के बाद ही सामने आ पाएंगे।