यमुनानगर :
शहर में स्ट्रीट लाइट व्यवस्था में सुधार नहीं हो पा रहा है। 25 हजार प्वाइंट्स को एलइडी में कन्वर्ट करना तो दूर, जो खराब हो चुकी हैं, उनकी मरम्मत भी समय पर नहीं हो पा रही है। कारण कुछ और नहीं बल्कि मरम्मत के लिए लगाए गए टेंडरों का सिरे न चढ़ना है। एजेंसियां शर्तों को पूरा नहीं कर पा रही हैं। जिसके कारण अब दूसरी बार रिकाल करने पड़े हैं। उधर, नगर निगम के 22 वार्डों में स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था खराब है। पाश एरिया की सड़कों पर भी अधिकांश लाइटें खराब पड़ी हैं। निगम में हर दिन 150-200 शिकायतें पहुंच रही हैं। दो जोन में बांटकर मरम्मत करवाने की योजना :
टेंडर में शर्तों के मुताबिक ठेकेदार को समय पर सामान उपलब्ध करवाना होगा। यदि आर्डर किए जाने के 48 घंटे तक सामान उपलब्ध नहीं होगा तो 50 रुपये प्रति प्वाइंट व पांच दिन तक उपलब्ध न होने पर 100 रुपये तक जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है। इसलिए ठेकेदार के लिए पर्याप्त स्टाक रखना भी जरूरी है।
ये हैं मुख्य शर्तें :
एजेंसी एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा कि उसे ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया है। कार्य को निर्धारित समय सीमा के भीतर सख्ती से पूरा किया जाना चाहिए। यदि कार्य निर्धारित समय सीमा में पूरा नहीं किया जाता तो अनुमानित लागत का 10 प्रतिशत जुर्माना लगाया जाएगा। गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली (क्यूएमएस), आईएसओ 14001: 2015 के लिए बोलीदाता के पास आईएसओ 9001 होना चाहिए। बोलीदाता को समान प्रकृति के कार्य का अनुभव होना चाहिए। बोलीदाता को आवंटित दरों पर एक वर्ष के लिए सामग्री की आपूर्ति के लिए पैनलबद्ध किया जाएगा। उन आपूर्तिकर्ताओं को वरीयता दी जाएगी जिन्होंने किसी को भी इस तरह के बिजली के सामान की आपूर्ति की है।
यहां अधिक स्थिति खराब :
बिलासपुर रोड पर करीब 60 लाइटें हैं। इनमें से अधिकांश लाइटें लंबे समय से खराब हैं। पुराना नेशनल हाइवे पर भी लाइटें ठीक नहीं हैं। कुछ लाइटें पेड़ों की टहनियों में छिपकर रह गई हैं। बाइपास चौक से लेकर यमुना पुल तक भी लाइटों की व्यवस्था नहीं हैं। इस मार्ग से तो लाइटों के पोल भी गायब हो गए हैं। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र, हमीदा कालोनी, जम्मू कालोनी, माडल कालोनी, माडल टाउन, कैंप एरिया, बैंक कालोनी, बिलासपुर रोड, सहारनपुर रोड, गोविदपुरा रोड, माया कालोनी, आजाद नगर, चौधरी कालोनी, दशमेश कालोनी, जसवंत कालोनी, लाजपत नगर, राजीव गार्डन, गंगा नगर, दुर्गा गार्डन में भी अधिकांश लाइटें खराब पड़ी हैं।
कई बार कर चुके मांग :
वार्ड तीन से पार्षद हरमीन कौर का कहना है कि उनके वार्ड में आज तक एक भी नई लाइट नहीं लगी है। पुरानी लगभग सभी लाइटें खराब हैं। ढाई साल के कार्यकाल में एक भी लाइट वार्ड में नहीं लग पाई। जबकि कई बार मांग की जा चुकी है। वार्ड 22 से पार्षद सविता कांबोज का कहना है कि उनके वार्ड में स्ट्रीट लाइटों का बुरा हाल है। देखरेख करने वाला कोई नहीं है। जो खराब हैं उनकी रिपेयर नहीं की जा रही है। ऐसी लाइटों की संख्या भी कम नहीं है जो दिनरात जलती रहती हैं। वार्ड- 13 से पार्षद निर्मल चौहान का कहना है कि स्ट्रीट लाइटों में निगम में बड़ा घालमेल चल रहा है। लाइटों की क्वालिटी भी ठीक नहीं है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।